आसवन

(Distillation)

आसवन किसी मिश्रित द्रव के अवयवों को उनके वाष्पन-सक्रियताओं (volatilities) के अन्तर के आधर पर उन्हें अलग करने की विधि है। यह पृथक्करण की भौतिक विधि है न कि रासायनिक परिवर्तन अथवा रासायनिक अभिक्रिया।1)

प्रकृति में आसवन का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण समुद्र के खारे पानी में से पानी की भाप का उठना, फिर भाप का वायुमंडल के ठंडे भाग में पहुँचकर ठंडा होना और शुद्ध जल के रूप में बरसना है। वर्षा का जल एक प्रकार से शुद्ध आसुत जल है, परंतु बरसते समय यह साधारण वायुमंडल से अपद्रव्य का शोषण कर लेता है।

प्रयोगशालाओं और कारखानों में आसवन के निमित्त जिस उपकरण का प्रयोग किया जाता है उसके मुख्यतया तीन अंग होते हैं:

(१) भभका, (२) संघनित्र और (३) ग्राही।

भभके में वह मिश्रण रखा जाता है जिसमें से वाष्पवान्‌ अंश पृथक्‌ करना होता है। ये भभके उपयोगानुसार काच, तांबे, लोहे अथवा मिट्टी के बने होते हैं। शराब बनाने के कारखानों में बहुधा तांबे के बने भभकों का प्रयोग होता हैं। और प्रयोगशालाओं में कांच के भभकों का। भभके के नीचे भट्ठी या गरम करने के निमित्त किसी उपयोगी साधन का प्रयोग किया जाता है।

भभके में से उड़ी हुई भाप संघनित्र में पहुँचती है। संघनित्र अनेक प्रकार के प्रचलित हैं। सभी संघनित्रों का उद्देश्य यह होता है कि भाप शीघ्र से शीघ्र और भली भांति ठंडी हो जाए। यह आवश्यक है कि संघनित्र में अधिक से अधिक पृष्ठ उस हवा या पानी के संपर्क में आए जिसके द्वारा भाप को ठंडा होना है। तांबा गरमी का अच्छा चालक है। इसकी नलिकाएं (पाइप) यथेष्ट पतली बन सकती है; अत: कारखानों में अधिकतर तांबे के ही संघनित्रों का व्यवहार किया जाता है। वस्तुत: संघनित्र वह उपकरण है जिसमें गरम भाप एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुँचते-पहुँचते ठंडी हो जाए। जिन द्रव्यों के क्वथनांक बहुत ऊँचे हैं, उनकी भाप हवा से ठंडी की जा सकती है। इसके लिए वायुसंघनित्र काम में लाए जाते हैं। ऐल्कोहल, बेंज़ीन, ईथर आदि द्रवों की भापों को ठंडा करने के लिए ऐसे संघनित्रों का प्रयोग होता है जिनमें पानी के प्रवाह का प्रबंध हो।

आसवन उपकरण का तीसरा अंग ग्राही है। यह वह पात्र है जिसमें भाप के ठंडा हो जाने पर बना हुआ द्रव इकठ्‌ठा किया जा सके। ग्राही भी सुविधानुसार अनेक प्रकार के होते हैं।

  1. ऊर्ध्वपातन वह प्रक्रिया है जिसमें कोई पदार्थ ठोस अवस्था से वाष्प अवस्था में बिना तरल अवस्था ग्रहण किए परिवर्तित हो जाता है। जैसे कपूर का ठोस अवस्था से सीधे वाष्प के रूप में उड़ जाना।
  2. भभका एक उपकरण है जिसका प्रयोग मिश्रय और अमिश्रय तरल मिश्रणों के आसवन हेतु किया जाता है (उदाहरण: भाप आसवन)। पहले इन मिश्रणों को चयनात्मक रूप से उबाला जाता है फिर इनकी वाष्प को ठंडा कर संघनित किया जाता है। भभके का प्रयोग के इत्र और औषधि निर्माण, औषधीय प्रयोजनों हेतु इंजेक्शन जल (WFI), विभिन्न रसायनों के शुद्धीकरण और पृथ्क्करण के लिए किया जाता है पर इसका सबसे प्रसिद्ध उपयोग एथिल अल्कोहल युक्त आसुत पेय पदार्थों का उत्पादन है।
1)
Laurence M. Harwood, Christopher J. Moody. Experimental organic chemistry: Principles and Practice (Illustrated). Oxford: WileyBlackwell

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