सा विद्या या विमुक्तये
विद्या वह है कि जो मुक्ति प्रदान करे|

तत् कर्म यत् न बन्धाय सा विद्या या विमुक्तये। आयासाय अपरं कर्म विद्या अन्याशिल्पनैपुणम्॥
तत् कर्म (कर्म वह है) यत् न बन्धाय (जो बंधन में न डाले) सा विद्या या विमुक्तये (विद्या वह है जो मुक्त कर दे)। आयासाय अपरं कर्म (अन्य कर्म केवल श्रम मात्र हैं) विद्या अन्याशिल्पनैपुणम् (अन्य विद्याएँ केवल यांत्रिक निपुणता हैं)॥

विष्णुपुराण 1)

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