Absolute temperature
परम ताप. 273°C को शून्य मानकर जो ताप लिखते है , उसे परम ताप या केल्विन ताप कहते हैं . परम ताप को T K ( Temperature Kelvin ) से प्रदर्शित करते हैं .
T° C = ( t + 273 ) K.
जब किसी वस्तु को गर्म किया जाता है अर्थात तापमान बढाया जाता है, तब उसके अणुओ की गतिज उर्जा में वृद्धि होती है| जैसे-जैसे तापमान में बढोत्तरी होगी वैसे-वैसे गतिज-ऊर्जा भी बढती जाएगी| मतलब अणुओ की गतिज ऊर्जा तापमान पर निर्भर है| यदि अणुओ की औसत गतिज ऊर्जा को E तथा परम ताप को T माने, तब दोनों में सम्बन्ध निम्नानुसार होगा-
E=(3/2)kT
उपरोक्त समीकरण दर्शा रहा है की पदार्थ के अणुओ की औसत गतिज ऊर्जा पदार्थ के परम ताप के समानुपाती होती है|
यदि पदार्थ का तापमान परम-शून्य ताप के बराबर है तो उसके अणुओ की औसत गतिज ऊर्जा शून्य होगी| पर यदि तापमान परम-शून्य से भी कम है यानि ऋणात्मक है, तब अणुओ की औसत गतिज ऊर्जा ऋणात्मक होगी| जो कि असम्भव है| गतिज ऊर्जा ऋणात्मक नहीं हो सकती| इसलिए किसी भी वस्तु का तापमान परम शून्य से कम नहीं हो सकता| परम-शून्य ही न्यूनतम सम्भव तापमान है|
परम ताप (absolute temperature) जब तापमान को परम शून्य के सापेक्ष मापा जाता है तो इस प्रकार प्राप्त तापमान को परम ताप कहते हैं। इसे केल्विन इकाइ का प्रयोग करके व्यक्त किया जाता है।
यह न्यूनतम ताप है जिसे प्राप्त किया जा सकता है। इससे कम ताप होना सम्भव ही नहीं है। किसी ठोस का ताप चूंकि उसके परमाणुओं के कम्पन का परिमाण प्रदर्शित करतअ है, अतः परम शून्य ताप पर परमाणु पूर्णतः कम्पन करना बद कर देते हैं।
ऊष्मगतिक तापक्रम (Thermodynamic temperature) या 'परम ताप' (absolute temperature)' तापमान का विशुद्ध माप है। यह ऊष्मगतिकी के मुख्य प्राचलों (पैरामीटर) में से एक है।
ऊष्मागतिक तापक्रम ऊष्मागतिकी के द्वितीय नियम द्वारा परिभाषित है जिसमें सिद्धान्त रूप में न्यूनतम सम्भव ताप को 'शून्य बिन्दु' माना जाता है। इस ताप को 'परम शून्य' (absolute zero) भी कहते हैं। इस ताप पर पदार्थ के कण न्यूनतम गति की स्थिति में होते हैं तथा इससे कम ठण्डे नहीं हो सकते। क्वाण्टम यांत्रिकी की भाषा में, परम ताप पर पदार्थ अपनी निम्नतम अवस्था (ground state) में होता है जो इसकी न्यूनतम ऊर्जा की अवस्था है। इस कारण ही ऊष्मागतिक तापक्रम को 'परम ताप' भी कहा जाता है।